Friday 20 August 2010

कर पाएंगे ???????

एक बात रह रह कर मन में उठ रहा है ..पिछले चंद रोज से ...इंसान कितनी तरह के होते है ??? कोई शांत होता है तो कोई तूफानी ..कोई अपनी बात किसी भी तरह मनवाने की जिद वाला होता है तो कोई बिना कहे ही कुछ बुरा नहीं मानता जब अपनी जिद पूरी ना हो .....मा को ऐसे बच्चे की शायद ज्यादा फ़िक्र होती है जो कुछ मांगते नहीं हो ...पर कभी कभी ऐसे लोग को जिसे अंग्रेजी में टेकन फॉर ग्रांटेड कहते वैसे ही लिया जाता है ...शायद लोग उन्हें बुध्धू समजते है ...इसे कोई अक्कल ही नहीं हो वैसे ही ....पर क्या उन लोग का दिल नहीं होता होगा ये समझने की दुनिया के पास फुर्सत कहाँ ???कितना मन मारके जीते होंगे वे लोग ...कितनी ख़ुशी का बलिदान देना पड़ता होगा ...ये कोई नहीं सोचता ...हमेशा ये सोचते है की इसे बुरा नहीं लगेगा ....
दुनिया बहुत वास्तविक हो चुकी है ...यहाँ संवेदना की कोई कीमत नहीं ...पर एक सच्चाई ये भी है की जब हम किसी का हक़ उससे छीन लेते है तब आत्मा तो जरूर रोती है ..और ये बात आपकी नींद भी छीन लेती है ...रात के कोने में अकेले सोते हुए हमें दिन में किये हर गलत काम याद आते है ,बस दुनिया के सामने कुबूल करने की हिम्मत हम कभी नहीं कर पाते ...और जो अपनी इच्छा को किसी की ख़ुशी पर बली देने की हिम्मत करता हो वो चैन की सांस जरूर लेता है ........
क्या हम किसी की ख़ुशी के लिए ये कर पाएंगे ????

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